Wednesday 27 July 2011

एक दिया भी काफी है....

एक दिया भी काफी है....

विशाल समन्दर, अथाह लहरे
भटके मुसाफिर,जमीं की तलाश में
इस वीराने में,रात के अंधियारे  में
एक प्रकाश स्तम्भ भी काफी है मंजिल दिखाने को ........

झूठे बड़प्पन में अपने अहम् में
फलदार वृक्ष अकडते नहीं ,
ताड़ कभी झुकता नहीं
समझ समझ का फेर है वर्ना ,
एक क्षमा भी काफी है बिगड़ी बनाने को ............

भयावह  तिमिर और रस्ते की थकन
डर डर जाये जिया,वन में मै जाऊ कहाँ
इस आशियाने में ,अनजाने सफ़र में
एक जुगनू भी काफी है रौशनी दिखाने को ........

पूर्वजो की इशवाणी है
सीखते है हम गगन में उड़ना,जल में तैरना
पर सिखा नहीं हमने जमीं पर चलना
जीना सिखाने को ,इंसान बनाने को
एक गुरु भी काफी है अज्ञान मिटाने को .......

कभी दिल की लगन है कभी रस्ते की तपन है
कभी तृषित मन है कभी ऊँची उड़ान की थकन है
दुनिया रंगीन है और हंस के जीने को
एक खुशनुमा याद  भी काफी है जिंदगी बिताने को ........

बचपन से माँ -पिता ने गले से लगाया
सच्चे और झूठे का अंतर सिखाया
त्याग से प्यार से हमें अच्छा इंसा बनाया
एक पुत्र भी अच्छा हो जो खुशिया दे पाए
एक कुलदीपक भी काफी है पूर्वजो का नाम बनाने को ....

चौरासी योनि का लम्बा सफ़र है ,
जीव और जीवन का हर पल मिलन है
कठिन है रास्ता और अनजान राही है
कहने को पुनर्जन्म भी एक सच्चाई है मगर
एक जनम भी काफी है आत्म तत्व को पाने को ............

Saturday 23 July 2011

सच तो यही है !!!!!

सच की सच्चाई !!!!!

चोरी किसी के दिल की हो ,
तन की -मन की ,सभा में वचन की हो
या मिहनत से बचाए किसी के धन की हो ,
   चुराया तो है ही ना ,सच तो यही है ......

प्यार राधा का किशन से ,प्रेमी का प्रेमिका से
मां का बच्चे से ,शहीदों का देश से हो ,
आंसू की ख़ुशी ,इंसानों का इंसान
औ भक्त का भगवान् से हो
प्यार में दिल का धडकना तो है ही ना ..सच तो यही है.....

दुःख अनसुलझे जज्बातों से मिले,
जनम- फल या कर्म-फल से ,
बच्चे से जीवन दात्री को मिले
या मजबूत तबके से गरीबो को,
सिला दूसरो से मिला हो या अपनों से 
 दुःख में तड़पन तो है ही ना,सच तो यही है......

स्वार्थ अपनों को बचाने का हो
परिवारवाद ,समाजवाद
या समग्र समाज के उत्थान का हो
  स्वार्थ में अंधे तो सभी है ना ,सच तो यही है ......

दोस्ती हमसफ़र से हो,हमराही से
सम दर्शी इंसानोंकी हो,मिलते विचारो की
कृष्ण की सुदामा से हो ,राम की विभीषण से
 दोस्ती में प्रेमभाव तो है ही है ना,सच तो यही है.......

ख़ुशी मिलन में हो,पूर्ण समर्पण में हो या तन्हाई में ,
त्याग में या किसी को दुःख पहुचाने में हो ,
या दधिची की तरह देवताओ के लिए
अपना सर्वस्व लुटाने में हो
 ख़ुशी में आनंद तो है ही ना,सच तो यही है .......

कबीर की कबीरवाणी !!!
हे सावरे श्याम ! अपने रंग में इस कदर रंग दे मुझे ,
कि तेरे सिवा कोई और रंग ना चढ़े मुझपर ,
ना अगले जनम की आस हो ,ना जनम मरण की प्यास ,
नेह  आत्मा का शरीर से हो या शरीर का आत्मा से ,
स्नेह में परमानन्द तो है ही है ना,सच तो यही है........

Thursday 21 July 2011

ये ही तो है जिंदगी....

ये ही तो है जिंदगी....

हमारी जिंदगी !!!
आत्मा के कई जन्मो का सफ़र है
जिसके न आदि का पता है ना अंत का
एक अंतहीन सफ़र है जिन्दगी ......

इस छोटे से काल में काल के
काल में कितने काल-कलवित  हुए
उनके नामोनिशान भी मिट गए
फिर भी रोज नयी उमंग
जगाती है जिंदगी.....

रोज नए रिश्ते बनते बिगड़ते है
देश और सरहद के झगडे होते रहते है
इंसानों से इंसानियत की मौत होती है
सारे रिश्ते इसी जनम में जमी पर रह जाते है
फिर भी प्यार करना सिखाती है जिंदगी........

पुरानी पीढ़ी और नई उम्र में अजब कशमकश है
बेमेल विचारो   की   जबरदस्त   जद्दोजहद है
ओल्ड age होम आधुनिक जरुरत है
क़ल हम भी उसी रस्ते पे होंगे
ये मालूम है मगर
अपनों को अपनों से बेगाना बनाती है जिंदगी.....

सुना है लोगो ,से पढ़ा है किताबो में
महापुरुषों के छोड़े पदचिन्ह हम मिटा न सके
क्युकि हम नया पदचिन्ह बना न पाए
पूर्वजो का कर्म फल हमने जी भर के लुटा
नयी संतति को थाती में
खुरचे भी देने में डरते है
स्वार्थ में हमें अँधा बनाती है जिंदगी.......
           
 इबादत है हमारी !हमारे संचालक से
छोटे जीवन की नैया हम अच्छे से खे पाए ,
नाविक की मर्जी और आत्मा की पतवार से
हर तरफ फूल न सही फूलो के बीज ही बिखेर पाए,
हम ना सही दुनिया ही कहे
सार्थक हुई हमारी ये जिंदगी...........

Saturday 16 July 2011

राजनेता

हमने देश की नैया की जिनके हवाले,
हमारे मातम पर वो गुनगुनाते रहे .....
अपनों का हो या आतंकी का हमला ,

 हम रोते रहे वो रुलाते रहे .......
विदेशो में रखकर गरीबो का पैसा ,

समाजवाद के गुण गाते रहे .....
शहीदों के नाम पर कुर्सी पर बैठे,

देशभक्ति के तान सुनाते रहे.....

दिल के रिश्ते

नेता !!!

मिथ्या वचन
जिसके जीवन की गीता .......

आंखे !!!

लोगो के नाम
दिल का पैगाम.....

प्यार !!!

एक सुखद अहसास
एक अटूट विश्वास.....

रिश्ते!!!

लोगो की जुबानी
दो दिलो के जुड़ने की कहानी ......

पुत्री का खुला पत्र पिता के नाम

पुत्री का खुला पत्र पिता के नाम

पापा !!!

कैसे  लिखू -दिल की पाती,

इतना कुछ है  लिखने को कि ......

 सदिया बीत जाएँगी  !!!

जब से होश  संभाला  है ……..

हर  पल  आपका  हाथ 

  अपने  सर  पर   पाया  है .........

बचपन  में  छोटी  छोटी  गलतियों  पर  डाटना 

अब  लगता  है  कितना  जरुरी  था .....

 धैर्य  से  हमें  कहानियो  के  जरिये  

जिंदगी  का  पाठ  पढाना ,

अब  महसूस  करते  है  कितना  सटीक  था......

पापा  उसने  ही  सदा  हमें  हमारी

 जिंदगी    जीना  आसान  कर  दिया  है .......

जब  कभी  तन्हाइओ     में  ,

वक़्त  के  थपेड़ो    से ,

उमड़ती    कठिनाइओ  के  लहरों  से ,

हमारे  जीवन  की  कश्ती  डगमगाने  लगी --

आपके  प्रेम  भरी  निगाहों  ने ,

आपके   प्रेरक  मजबूत  सहारे  ने ,

हमारे  जीवन  की  डूबती नैया  

किनारे  उतारी  है .........

 पापा  आज  अगर  पीछे  मुड़कर     

देखती  हूँ    तो  हर  ख़ुशी  

  आपकी  अमानत  है .....

आज हमें  अपनी  जिंदगी  से  कोई  शिकायत  नहीं  रही  है ....

क्यूकि  आपने  she stooped to conquer का  पाठ  पढाया  है.....

कहते  है  पिता  जम्दाता  होते  है !!!

पर  पापा   हमारे  जन्मदाता  ,सुखदाता ...

कर्मदाता  ,अटूट  संबल सब  कुछ  तो  आप  ही  है ....

मेरे  प्यारे  पापा  !!!!!

सुना   है  दुनिया  में  भगवान  होते  है -

 इश्वर  से  तो  मांगना  पड़ता     है

पर  आपने  तो  बिना  मांगे  ही

हमें  सब  कुछ  दिया  है ................

दुआ है  तहे  दिल से 

 आप  सदा  हमारे  साथ  रहे ...........

अगले  जनम  में  कोई  रिश्ता  साथ  हो  ना  हो

हमारे माता पिता आप रहे  .......

I love u Papa