Sunday 21 August 2011

कृष्ण तेरे कितने रंग !!!

कृष्ण तेरे कितने रंग !!!

श्याम वरण काया, निर्मल है तन- मन,
अद्भुत तेरा शैशव, नटखट है बालपन.....
देवकी के पुत्र किशन, जन्म कालकोठरी में
यशोदा का लाडला , करे लाड़ गोकुल में ....
पूतना का वध हो या कालिया का मर्दन,
माखन चुराए या उठाये गोवर्धन .....
मां के दुलार में सराबोर हुआ बचपन,
राजकुंवर ग्वालो से जताए अपनापन .....

पुत्र की लीला से ,पुलकित है अंग अंग ,
हर मैया पूछे ! माखनचोर तेरे कितने रंग !!!

जिन गोपियों के बीच कान्हा रास रचाए,
वही गोपियाँ ,उद्धव को भक्ति पाठ पढाये......
सोलह हजार रानियां मंडराए चहुँओर,
राधा के पावन प्रेम का पुजारी ! चितचोर.....
इतनी नारियो के बीच सभी भोगी कहलायें
रंगरसिया श्याम, फिर भी योगी कहलाये .....

प्रेम भी उद्दात है ,जब हो भक्ति के संग,
चकित है मीरा !मनमोहना तेरे कितने रंग !!!

बाल सखा सुदामा से सखा-धर्म निभाए,
भरी सभा में, द्रौपदी को चीर-हरण से बचाए.....
कुरुक्षेत्र में पार्थ का ,कभी सारथि बन जाए,
बंधू-बांधव प्रेम में जब भटके वही अर्जुन ,
अपने बृहत् रूप में गीता का ज्ञान दे जाये......

ईश्वर का प्रतिरूप माधव ,फिर भी तू अलंग,
भक्त तेरे दंग है ! हृषिकेश तेरे कितने रंग !!!

विधर्मी से धर्म के लिए लड़ना बताया,
साम-दाम दंड भेद से,धर्मयुद्ध जीतना सिखाया....
जीवन में निस्वार्थ निष्काम कर्म करना बताया,
पुत्र-प्रेम,भातृ-धर्म ,प्रेमगीत हो या राजनीति,
सर्व-धर्म को सभी रूपों में पग-पग निभाया.....
हर रस में भींज रिश्ते को पूजना सिखाया.....


किस रिश्ते से लगाऊ लगन,अनूठे तेरे हर रंग,
बाबरी हुई तेरी प्रिया ! मेरे कान्हा तेरे कितने रंग !!!


 (जन्माष्टमी के पावन अवसर पर,सांवरे श्याम से प्रिया के कुछ अनुत्तरित प्रश्न !!!)

Saturday 13 August 2011

फिर भी हम स्वतंत्र है !!!



फिर भी हम स्वतंत्र है !!!

आजादी की हर सालगिरह पर
हम स्वतंत्रता का जश्न मनाते है ....
जिनके गुलाम थे जिन्होंने गुलामी दी ,
उन्हें हम अतिथि बनाकर देश बुलाते है ....
आज भी रानी के प्रशंसा के
कसीदे काढ़े जाते है .....
उनके राजकुमार की शादी हो या
ताज के पास तस्वीर उतरवाना,
हम मुखपृष्ठ पर समाचार बनाते है .....
अपनी मातृभाषा को भूलकर ,
अंग्रेजीदां होना अपनी आधुनिकता बताते है.....
पुरातन आदर्श-भरी संस्कृति छोड़कर
उनकी विलासिता अपनाने में गर्व जताते है ....
शहीदों की समाधि पर उनके पुष्पार्पण को
आज की ताज़ा खबर बनाते है....
सोचते है हमारी आजादी का यही मतलब है !!!

वैचारिक गुलामी है,मन से परतंत्र हैं,......
खुशियों का अवसर है,फिर भी हम स्वतंत्र हैं ........

वैश्वीकरण की दौड़ में ,
अपनी स्थिर अर्थव्यवस्था को धत्ता बताकर,
"ऋणं लेकर घृतं  पीवेत " की चरक प्रवृति
को विकसित होने का मूल मंत्र बताते हैं.....
गरीबी और भूख से कई विदर्भ बने पर,
कॉमन-वेल्थ खेल में करोडो लुटाने में ,
देश और भारतीयता की शान बताते हैं....
बेटो की चाह में कई बेटियां कुर्बान कर के ,
बालिका मुफ्त-शिक्षा योजना चलाते हैं.....
आर्थिक ,सामाजिक ,शारीरिक शोषण कर
"यत्र नार्यस्ते पूजते तत्र वसते देवता "
के हमे गीत सुनाते हैं.....
भाई -भाई में झगड़े है,मर कटने का फसाना है,
अहम् की लड़ाई में देश के टुकड़े करने का अफसाना है,

समाज में कई बेडिया हैं,अपना श्रेष्ठ प्रजातंत्र है.......
आजादी के तराने छेड़ो,फिर भी हम स्वतंत्र हैं.............

शहीदों के मर मिटने की शहीद-वाणी ......

भारतीयता का जज्बा कायम अगर रखना है,
भारत को गर दुनिया में विकसित देश बनना है,
कश्मीर से कन्याकुमारी  अखंड  अगर करना है,
भारतीय संस्कृति का परचम दुनिया में लहराना है !

आपस में लड़े नहीं सबमें भाईचारा हो,
सर्व- धर्म समभाव हमारे देश का नारा हो ,
देश की बागडोर शिक्षित युवाओं के हाथ हो,
न्यायपालिका सदा निष्पक्ष और अपने साथ हो,
परमाणु की दौड़ में हम ना अग्रसर हों,
रोटी ,छत ,पानी सब के घर- घर हो,
मुफ्त शिक्षा, ईमानदारी हम सब की रीत हो ,
 सबके दिलो को जीतना सब से बड़ी जीत हो,

गाँधी,सुभाष की कुर्बानी का यही मूलमंत्र है,
गर्व से हम बोलेंगे ,हाँ ! हम स्वतंत्र हैं !!!

Friday 12 August 2011

मेरा प्यारा भैया !!!

मेरा प्यारा भैया !!!

मेरा भैया,मेरा वजूद !!
बचपन में साथ बीते -
हमारे छोटे- छोटे सुनहरे पल,
हमारी मीठी प्यारी तकरार,
झूठी बातो पर पापा से शिकायत लगाकर,
एक दूसरे को डांट खिलाना ,
फिर अपनी हार जीत का जश्न मनाना....
पड़ोस में बच्चो के बीच नोक -झोंक हो तो
हमारे साथ मिल हमारे लिए प्रेम दर्शाना,
आज वो सब सपना है,फिर भी वो समय मेरा कितना अपना है .......
मेरा नन्हा भैया,मेरा पहला साथी !!!!!

हर वक़्त पापा के नख्शे-कदम पर
कदम कदम पर अपने भाई होने का अहसास दिलाना,
अकेले कही हमें जाना हुआ तो
साथ चलकर हमें सुरक्षित महसूस कराना,
राखी में रक्षा सूत्र बंधवाते समय,बड़ी बड़ी बाते करना
सुबह से भूखे रहकर राखी बंधवाने से
मम्मी से पैसे लेकर हम बहनों को बांटने तक,
हमें जिंदगी भर साथ निभाने के लम्बे-लम्बे वादे करना
शाम में फिर से हमारे बीच वही पुराने हम-तुम के झगडे,
तब हुमायू और कर्णावती की कहानी  कितनी  झूठी लगती थी ,
आज सब पुरानी बाते है,पर हमारे लिए वो परियो की कहानी है........
मेरा नन्हा भैया,हमारा पहला सुरक्षा चक्र !!!!

जब पापा -मम्मा की जिम्मेवारिया बढ़ने लगी,
 तुम्हारा तुरंत से समझदार हो जाना,
सामने से अपना दाहिना हाथ बढाकर
उनके कंधे को एक मजबूत सहारा देना,
अपने घर में कोई छोटी -बड़ी बात हो,
किसी सदस्य को कभी मानसिक ,आर्थिक जरूरत हो
तुम्हारा अटल चट्टान सा खड़े रह उसे सम्हालना,
हर गिरते कदम को सहारा देकर थामना ,
तू हमारे लिए हमारा मानसिक संबल है,हमारी आशा हमारा मनोबल है ...........
मेरा दुलारा भैया!  मेरे परिवार का नाज !!!!

आज हम सभी भाई -बहनों की अपनी छोटी दुनिया है,
कई नए रिश्तो से हमारी प्यार भरी डोर बंधी है,
रोज नयी परशानी और जिंदगी को अच्छे से निभाने की भागदौड़ है
इन सब के बीच तेरे साथ होने का अहसास ,
एक पूर्णता है हमारे परिवार की ......
भैया ! आज फिर से वही राखी है,
और  हम दोनों बहनों को तेरा वही ऐतवार है
हमारे दिल को बड़ा सुकून है , तू हमारा  भाई है
भगवान् ने कई रिश्ते बांटने में कंजूसी की हो
पर ये हमारी खुशनसीबी है,हम शुक्रगुजार है उनके,
उन्होंने इस रिश्ते में हमें सब कुछ दिया है!

ईश्वर करे तेरे जीवन में खुशियों के वर्ष हज़ार हो......
हम भाई बहनों का आपस में ताउम्र निस्वार्थ प्यार हो .......
मेरा प्यारा भैया,तुम्हे हमारा असीम प्यार !!!!





Wednesday 3 August 2011

आओ तो सही !!!

आओ तो सही !!!


हरी वादियो की धानी चुनर लिए,
सरसों के फूलो सा प्यार लिए,
कोयल की कूक की मिठास लिए,
परवाने के जलने की प्यास लिए,
इंतजार में उन्मत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर ,तुम आओ तो सही ............

निर्झर की मनुहार लिए,
अटल हिमालय सा विश्वास लिए,
दमकते महुए का उन्माद लिए ,
महकते फूलो का श्रृंगार किये,
आकुल हूँ बेकल हूँ ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही .................

रात की स्याही का अंजन लिए,
उषा की लालिमा का रुखसार लिए,
पुरवैया हवा सी बहार लिए,
पूर्णमासी के चाँद का दर्पण लिए ,
कब से प्रतीक्षारत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर दरश दिखाओ तो सही......

सावन की घटाओ का गेसू लिए,
फाल्गुन की मस्ती का रंग लिए,
वसंत की उमड़ती उमंग लिए,
हेमंत की ठहरी तरंग लिए,
सदियो से आशारत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर प्रीत लगाओ तो सही........

मीरा कहे श्याम से ,अहिल्या श्रीराम से,
धरा कहे गगन से, पुष्प कहे चमन से,
आकाश कहे क्षितिज से, सीप कहे मोती से,
प्रिया कहे प्रभु से, सावरे घनश्याम से,
दिल की लगी बुझाओ तो सही ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही ..........

इंतजार ही शाश्वत सत्य है !
तभी पूजा होती है ,
मीरा की लगन और पाषाण अहिल्या के संयम की .....
तभी इतिहास बनता है,
राधा के किशन से सच्चे पावन प्यार का......
विरह में मिलन है ,ह्रदय प्रेमाकुल है,
जनम मरण की आस मिटाओ तो सही ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही .......