आओ तो सही !!!
हरी वादियो की धानी चुनर लिए,
सरसों के फूलो सा प्यार लिए,
कोयल की कूक की मिठास लिए,
परवाने के जलने की प्यास लिए,
इंतजार में उन्मत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर ,तुम आओ तो सही ............
निर्झर की मनुहार लिए,
अटल हिमालय सा विश्वास लिए,
दमकते महुए का उन्माद लिए ,
महकते फूलो का श्रृंगार किये,
आकुल हूँ बेकल हूँ ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही .................
रात की स्याही का अंजन लिए,
उषा की लालिमा का रुखसार लिए,
पुरवैया हवा सी बहार लिए,
पूर्णमासी के चाँद का दर्पण लिए ,
कब से प्रतीक्षारत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर दरश दिखाओ तो सही......
सावन की घटाओ का गेसू लिए,
फाल्गुन की मस्ती का रंग लिए,
वसंत की उमड़ती उमंग लिए,
हेमंत की ठहरी तरंग लिए,
सदियो से आशारत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर प्रीत लगाओ तो सही........
मीरा कहे श्याम से ,अहिल्या श्रीराम से,
धरा कहे गगन से, पुष्प कहे चमन से,
आकाश कहे क्षितिज से, सीप कहे मोती से,
प्रिया कहे प्रभु से, सावरे घनश्याम से,
दिल की लगी बुझाओ तो सही ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही ..........
इंतजार ही शाश्वत सत्य है !
तभी पूजा होती है ,
मीरा की लगन और पाषाण अहिल्या के संयम की .....
तभी इतिहास बनता है,
राधा के किशन से सच्चे पावन प्यार का......
विरह में मिलन है ,ह्रदय प्रेमाकुल है,
जनम मरण की आस मिटाओ तो सही ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही .......
हरी वादियो की धानी चुनर लिए,
सरसों के फूलो सा प्यार लिए,
कोयल की कूक की मिठास लिए,
परवाने के जलने की प्यास लिए,
इंतजार में उन्मत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर ,तुम आओ तो सही ............
निर्झर की मनुहार लिए,
अटल हिमालय सा विश्वास लिए,
दमकते महुए का उन्माद लिए ,
महकते फूलो का श्रृंगार किये,
आकुल हूँ बेकल हूँ ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही .................
रात की स्याही का अंजन लिए,
उषा की लालिमा का रुखसार लिए,
पुरवैया हवा सी बहार लिए,
पूर्णमासी के चाँद का दर्पण लिए ,
कब से प्रतीक्षारत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर दरश दिखाओ तो सही......
सावन की घटाओ का गेसू लिए,
फाल्गुन की मस्ती का रंग लिए,
वसंत की उमड़ती उमंग लिए,
हेमंत की ठहरी तरंग लिए,
सदियो से आशारत हूँ,
मेरे प्यारे प्रियवर प्रीत लगाओ तो सही........
मीरा कहे श्याम से ,अहिल्या श्रीराम से,
धरा कहे गगन से, पुष्प कहे चमन से,
आकाश कहे क्षितिज से, सीप कहे मोती से,
प्रिया कहे प्रभु से, सावरे घनश्याम से,
दिल की लगी बुझाओ तो सही ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही ..........
इंतजार ही शाश्वत सत्य है !
तभी पूजा होती है ,
मीरा की लगन और पाषाण अहिल्या के संयम की .....
तभी इतिहास बनता है,
राधा के किशन से सच्चे पावन प्यार का......
विरह में मिलन है ,ह्रदय प्रेमाकुल है,
जनम मरण की आस मिटाओ तो सही ,
मेरे प्यारे प्रियवर तुम आओ तो सही .......
5 comments:
The passionate love wears its heart on its sleeve.The open invitation laced with the fiminin charm and the inherent sweetness to the yearning living soul, parched by the harsh summer of the conscious silence of the object of the desire, throws open the sluice gate of the thousand dreams.
This composition is evocative and full of metaphors. Here, the yellow mustard flowers, rustic intoxicating influence of the Mahua and the enthralling reverberation of cuckoo weave the magic with the dexterous use of the similes.
The downpour of emotional monsoon has the earnest desire to please and quench the eternal thirst of the loving heart.The wonderful lovey-dovey monsoon rains joy, romance , desire and it doesn't come to the reader as a surprise!
" Lavon ko seeke baithe hain Wajm-E -Duniya me ,
Kabhi wo unki Khamoshiayan ..suno to sahi"
This composition deserves to be the anthem of loving Heart!...Thanks!
lovely didi so touchy ...
Thanks Naveen Sir and Anandmayi for your lovely
fingerprints on my blog
very heart touching feeling
Infuse your life with action. Don't wait for it to happen. Make it happen. Make your own future. Make your own hope. Make your own love. And whatever your beliefs, honor your creator, not by passively waiting for grace to come down from upon high, but by doing what you can to make grace happen... yourself, right now, right down here on Earth.
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