Friday 23 September 2011

तुम मुझे यूँ बुलाया ना करो !


तुम मुझे यूँ बुलाया ना करो  !

छोटी सी जिंदगानी ,कर्तव्य बोध भी कुछ कम नहीं,
चुनिन्दा सांसो की उलटी गिनती भी अनगिनत नहीं,
कदम-कदम पर नयी मंजिल, हर मोड़ पर नए    हमराही
रात्रि की नीरवता हो या दिन के उजाले में अपनी आवाजाही ,

चरैवेति चरैवेति, मुझे निरंतर चलते जाना है,
अपने  जीवन पथ पर,   अपने कर्मपथ पर ...
ऐसी डगर पर,
कभी पुष्पित तो कभी कंटक भरे सफ़र पर,
तुम मुझे अपनी पुकार से भरमाया ना करो ,
               तुम मुझे यूँ बुलाया ना करो !!!

माना मैंने,तुम्हारा दो पल का साथ भी ,
आकर्षक पड़ाव है मेरे भटकते मन का...
जहा स्वप्निल जहाँ है, फूलों की छांव है ,
पर मुझे यूँ हसीन ख्वाव दिखाया न करो,
                 तुम मुझे यूँ बुलाया न करो !!!

तुम कहोगे नैसर्गिक सौन्दर्य में जीना मेरा अधिकार है,
और चंद खुशियाँ बटोरना ही  मेरे  जीवन का आधार है ,
मुझे पता है तुम्हे परवाह है मेरे सुख-दुःख की ....

पर जरा सोचो !
अगर माली ही स्वयं संवरने लगे तो हमारी बगिया कौन संवारेगा,
अगर पथप्रदर्शक ही भटकने लगे,तो मार्ग दर्शन कौन  कराएगा,
तुम जानते हो तुम्हारी मीठी दलील मुझे कमजोर कर देगी,
तुम मुझे यूँ दिग्भ्रमित कर जाया ना करो,
             तुम मुझे यूँ बुलाया ना करो !!!


3 comments:

sam said...

Life is filled with happiness, sadness, tears, smiles, laughter and other emotions but when life gets you down,and its gets u down only when u r in love the( factory of destruction), just be strong about it and keep your head up high and have faith in all things in life. , always.superb priya me too belive in career than love..i read this poem very lively it is full of enthusiasm.i like it..priya aap jo bhi poem likhte ho wo mera heart ko chu jata he ye mujhe sabse acha laga..

Anonymous said...

aapke kalam se nikli hui 1 aur khoobsurat kavita..
Raj..

Dil ka Rishta/MPrriyadarshini said...

Thanks Sam.aapki baate mere dil ko choo jaati hai....
Thanks Rajneesh,meri kavitao ko follow karne ke liye
...