Tuesday 4 September 2012

स्पर्श !!!



स्पर्श क्या है .?

कभी इसका अहसास बेहद अपना ,
तो कभी बेगाना सा ,क्यों लगता है...
कभी बिना स्पर्श के भी मन ,
किसी के ख्याल में दीवाना सा, क्यों लगता है...

सोचा जब मैंने ! तो कई मीठी खट्टी अनुभूति ..
दिल के मानसपटल पर ,पैर फैलाने लगी...

कभी अनछुई सी ,उसके ख्याल की महक,
प्यार से ,दिल को दुलारने लगी....
कभी माथे पर ,हलकी सी थपथपाहट भी,
दिल में सोते अरमान जगाने लगी..
कभी भीड़ में गुजरते घर्षण की छुअन भी ,
नागफनी बनकर ,जिया को डराने लगी...
और कभी दिल में छुपी ,नफरत की तपन,
लिजलिजे सांप की तरह, तन में आग लगाने लगी..

मैंने पूछा खुद से,
जरा इस प्यार की छुअन का  विस्तार करो...
इस पर दिल की भी बाते !जरा दो चार करो....

उसने कहा कि स्पर्श के जादू से ,
तू अभी वाकिफ ,ही नहीं है !!!

इसमें वो असीम शक्ति है ,जिससे.
शरीर तो क्या , रूह भी जाग जाती है...
और आत्मा तरंगित होकर ,
नख  से शिख तक ,स्पर्श का सुन्दर राग सुनाती है...
हर तार में वीणा के मीठे  सुर झंकार करते है...
और प्यार में सराबोर होकर ,
नित  नए सपने ,मन में आकार  लेते है...

ये सारी कहानी, स्पर्श का ही तो खेल है...
सो प्रिय ! स्पर्श महज स्पर्श ही नहीं,
दो दिलो का भी मधुर मेल है..

दिल में फिर से एक सवाल कौंधा ?

अगर तन का स्पर्श ही, सच्चा  स्पर्श है ,
तो किसी का मन ,उम्र भर कुंवारा क्यों रह जाता है ....
हम कांटो को भले ही  ,फूल  बनकर सहलाते है,
फिर भी उनका स्पर्श ,हमारे लिए नाकारा क्यों रहता  है

तब मुझे जबाब दिया मेरी आत्मा ने
सुनो  स्पर्श के कई रूप है .....
माना मैंने !
इसकी अनुभूति कभी शीतल छांव 
तो कभी तन-मन को जलाती  चिलचिलाती धुप है  ....
 पर स्पर्श !स्पर्श तभी है ,
जब वो हमारे मन के अनुरूप है .....

2 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

स्पर्श की पूरी तरह आपने परिभाषित कर दिया... बहुत बढ़िया...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

जब बहुत देर से रोते शिशु को
मिल जाता है
ममत्वा भरा माँ का स्पर्श
वो बिना देखे खिलखिला कर
चहक उठता है ....
क्या यही होता है स्पर्श?

जब हारते हुए शख्स को
उसके मित्र के हाथ का
हौशले से भरा स्पर्श
यह कहता हुआ मिलता है
"अब तू ही जीतेगा यार!"
भर देता है उसमे अदम्य साहस
और जिजीविषा
क्या यही होता है स्पर्श?

जब कष्ट प्रद दर्द से
कराहते मरीज को
मिलता है आश्वासन और
प्यार भरा स्पर्श
"तुम्हारी लम्बी जिंदगी है!"
दर्द में भी ला देती है मुस्कान!!
क्या यही होता है स्पर्श?

जब रूठे हुए प्रेमिका के ओंठो पर
माफ़ी के चाशनी से लिपटी
प्यार भरे प्रेमी के ओंठ का स्पर्श
पिघला देती है..
उसके अभिमान का बरफ
क्या यही होता है स्पर्श?

जब शांत पत्नी के कानो के पोरों पर
होता है पति का कामुक स्पर्श
कर देता है उसको उद्वेलित
खिल उठता है उसका रोम रोम
खिल उठती है सम्पूर्ण नारी...
क्या यही होता है काफी जीने के लिए उसका स्पर्श
क्या यही होता है स्पर्श?
.
रोते हुए को सीने से लगाना
और फिर बेतहाशा आँशु बहाना
औए अंततः शुकून पा जाना
क्या यही होता है किसी अपने का स्पर्श
क्या यही होता है स्पर्श??
क्या यही होता है स्पर्श??
हाँ यही होता है स्पर्श - एक "छुअन"!!!