पापा !!!
कैसे लिखू -दिल की पाती,
इतना कुछ है लिखने को कि ......
सदिया बीत जाएँगी !!!
जब से होश संभाला है ……..
हर पल आपका हाथ
अपने सर पर पाया है .........
बचपन में छोटी छोटी गलतियों पर डाटना
अब लगता है कितना जरुरी था .....
धैर्य से हमें कहानियो के जरिये
जिंदगी का पाठ पढाना ,
अब महसूस करते है कितना सटीक था......
पापा उसने ही सदा हमें हमारी
जिंदगी जीना आसान कर दिया है .......
जब कभी तन्हाइओ में ,
वक़्त के थपेड़ो से ,
उमड़ती कठिनाइओ के लहरों से ,
हमारे जीवन की कश्ती डगमगाने लगी --
आपके प्रेम भरी निगाहों ने ,
आपके प्रेरक मजबूत सहारे ने ,
हमारे जीवन की डूबती नैया
किनारे उतारी है .........
पापा आज अगर पीछे मुड़कर
देखती हूँ तो हर ख़ुशी
आपकी अमानत है .....
आज हमें अपनी जिंदगी से कोई शिकायत नहीं रही है ....
क्यूकि आपने she stooped to conquer का पाठ पढाया है.....
कहते है पिता जम्दाता होते है !!!
पर पापा हमारे जन्मदाता ,सुखदाता ...
कर्मदाता ,अटूट संबल सब कुछ तो आप ही है ....
मेरे प्यारे पापा !!!!!
सुना है दुनिया में भगवान होते है -
इश्वर से तो मांगना पड़ता है
पर आपने तो बिना मांगे ही
हमें सब कुछ दिया है ................
दुआ है तहे दिल से
आप सदा हमारे साथ रहे ...........
अगले जनम में कोई रिश्ता साथ हो ना हो
हमारे माता पिता आप रहे .......
I love u Papa
2 comments:
अति सुंदर रचना है ..... इसमें जिन जिन शब्दों का आपने इस्तेमाल किया है वह दिल को छु जाती है , इस तरह की रचना की कल्पना कर प्रस्तुति के लिए मेरी और से आपको तहेदिल हार्दिक बधाई !!!!!
sanjay jee aap mere blog par aaye aur meri rachnayo ko saraha uske liyaa uske liye bahut bahut shukriya....
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