Monday 5 September 2011

प्यार !!!



प्यार !!!
प्यार ! मन्दाग्नि है पल पल जलाती है ,
मैं विरह में तप तप के कुंदन बनी .....
प्यार ! तन मन के बिखरने का नाम है ,
मैं चमन की फिज़ाओ में घुल घुल चन्दन हुई ....
प्यार !प्यास है ,इंतज़ार है ,तड़पता रूहानी रिश्ता है ,
मैं वारिश की बूंद बनी ,सीप में ढल कर मोती बनी ....
प्यार !दर्द का दरिया है ,डूबते उठते जज्बातों की 
मैं दर्द की हद से गुजरकर दर्द की दवा बनी ......
प्यार !जिसमे दो पाटो के बीच पिसना होता है ,
मैं तेरे प्रेम में सुर्ख रंग की हिना बनी .....
प्यार !एक तराना है जिसके हर संगीत में तू है ,
मैं तेरे साज से निकलती मधुर सरगम बनी .....
प्यार !जिसके कई रंग है ,खुशरंग है तो बदरंग भी
मैं तेरे रंग में सतरंगी इन्द्रधनुष बनी .....
प्यार !आस्था है ,विश्वास है ,पावन अहसास है ,
प्यार !जिसमे मिलन नहीं तो अधूरापन भी नहीं ,
प्यार !स्वयं में पूर्ण है सारी सीमाओ और बंधन से परे है ,
प्यार ! रीत है इंसान को भगवान बनाने की ,
मेरे श्याम !प्रिया तेरी प्रीत में जोगन बनी ......... 
(The Great Sayings of the Upanishads)

      पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पुर्णमुदच्यते
          पूर्णश्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥)

4 comments:

sam said...

Love is always bestowed as a gift – freely, willingly and without expectation. We don’t love to be loved; we love to love.Hey Priya Lovely psoem on Love.....

Dil ka Rishta/MPrriyadarshini said...

I do agree.We love to love...

sam said...

a very lovly poem on love reallity of love.i just love to love...i m ur fan no. 1..really ur all poems are inspiring soul touching mind blowing..really great..

Dil ka Rishta/MPrriyadarshini said...

Sam.thanks for being the first one to comment on my Blog.Your words of appreciation mean to me a lot..