Tuesday 4 September 2012

ऐ दोस्त !!!


ऐ दोस्त !

आज विदाई की इस वेला में ..
सोचा था मैंने ,
तुम्हारे लिए कुछ लिखूं...

पर क्या लिखूं,कैसे लिखूं !.
जब मन में शब्द के रहते हुए भी,
मैं निशब्द हो रही हूँ...

क्या पढूं ,कैसे पढूं !
जब हलक सुख रहा है,
और मेरी आँखों से अश्रु नीर बह रहे हैं..

क्या बोलूं ,कैसे बोलूं!
जब जुबान के साथ ना देने से ,
मैं बोलने में विवश हो रही हूँ ...

तुम खुश रहो ऐ दोस्त !
ये सच है !
ह्रदय में तुमसे बिछड़ने की,
वेदना और संताप बहुत है ...
फिर भी तुम्हारे ,उज्जवल भविष्य की कामना ,
और मन में मेरे संतोष भी बहुत है..

 कैसे जताऊं,
क्या क्या मैं बताऊँ ....

कैसे भूलूं खुशियों में तुम्हारे संग ,
खिलखिलाना,हँसना...
एक दुसरे के दुःख सुख में ,
भागी बनकर , साथ कभी ना छोड़ना ..
कोई भी पूजा हो या हो कोई भी त्यौहार..
हर वक़्त खुला ही रखा हमने और तुमने .
अपने दिल का द्वार..

जब तुम चले जाओगे तो ..
सुना हो जाएगा ,
हमारी दोस्ती का दामन ...
हर पल याद आओगे ,
रीता सा लगेगा हमें ,
हमारे मन का आंगन...

हमारा साथ कभी ना छूटे,
ये सदा से मेरी ख्वाहिश थी ऐ मेरे सखा ..
पर तुम जहाँ भी रहो खुश रहो,फूलो फलो ,
यही दुआ है उनसे ....तुम्हे रब राखा ......